लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (23)
रोहित फोन रखकर पास में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गया।
अलका भी उसके पास रखी बैंच पर बैठकर डाक्टर का इंतजार करने लगी।
थोड़ी ही देर में नर्स रश्मि के कमरे से बाहर आई ओर डाक्टर के केबिन में घबराती हुई गई।
डाक्टर और नर्स दोनों रश्मि के कमरे की ओर गए। उनको ऐसे देख रोहित ओर अलका भी उस तरफ भागे।
वो दोनों बाहर ही थे अभी कमरे के......कि पीछे से आवाज आई:- अलका!!
अलका ने मुड़ कर देखा तो रश्मि की मम्मी थी।
रश्मि कि मम्मी अलका के पास आई ओर बोली:- क्या बात है बेटा! रश्मि तो ठीक है ना फिर तुम लोग ऐसे क्यूँ खड़े हो ओर मुझे भी यहाँ हास्पिटल में क्यूँ बुलाया।
अलका बिना कुछ बोले उनके गले लग गई....।
रोहित भी उनके पास आया ओर बोला :- आंटी रश्मि ठीक नहीं हैं......अभी भी। उसे अभी तक होश नहीं आया हैं...। अभी एक दुसरे डाक्टर आ रहे हैं वो सब ठीक कर देंगे। आप टेंशन मत लिजीए।
इतने में एक बड़ी सी सफेद रंग की कार आकर रूकी। एक शख्स उसमें से बाहर आया ओर हास्पिटल के अंदर आकर बोले:- हैलो । आई एम डाक्टर विजय.....आप रश्मि के रिलेटिव है?
रोहित ने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा:- यस सर।
इतने में नर्स रश्मि के कमरे से बाहर आई ओर उनको अपने साथ अंदर लेकर चली गई।
काफी देर तक कोई भी बाहर नहीं आया।
रोहित ने अलका के पास जाकर कहा :- अलका एक काम करो तुम ओर आंटी गेस्ट हाउस चले जाओ, मैं मेरे किसी खास आदमी को बुला लेता हूँ ...... वो तुमको सही से छोड़ आएगा। आंटी की तबियत भी ठीक नहीं है ऐसे में उनका यहाँ रहना सही नहीं है। जैसे ही कोई खबर आएगी रश्मि कि .....मैं तुम्हें फोन कर दूंगा।
रोहित मैं रश्मि को ऐसे छोड़ कर नहीं जा सकती।
लेकिन अलका हमें आंटी का भी तो ख्याल रखना है ना....। क्या रश्मि को ये सब अच्छा लगेगा कि उसकी वजह से आंटी को कोई तकलीफ हो। बात को समझो अलका प्लीज।
ठीक है! पर जैसे ही रश्मि को होश आए या कोई भी खबर आए तुम तुरंत मुझे बताओगे।
ओके, आई प्रोमिस।
अलका आंटी के पास गई ओर उनको साथ चलने को कहा।
लेकिन अलका वहाँ भी तो मुझे चिंता रहेगी ना रश्मि की। फिर क्या फायदा चलने से।
आंटी, आपकी तबियत भी ठीक नहीं है घर पर दवाई लेकर थोड़ा रेस्ट कर लिजीए। यहाँ रोहित है। कुछ भी बात हुई तो हमें बता देगा।
रोहित ने भी जिद्द करते हुए कहा-आंटी प्लीज अभी आप जाइए। सुबह होते ही आ जाइयेगा।
ठीक है। पर रश्मि का ख्याल रखना।
हां आंटी।
रोहित ने किसी को फोन लगाया।
थोड़ी देर में एक शख्स हास्पिटल में आया।
विकी, इन दोनों को सही सलामत गेस्ट हाउस छोड़ दो। ओर अपने दो आदमी ओर बुला लो। जो रात भर इनकी सिक्योरिटी कर सकें। इनको एक मिनट के लिए भी अकेले मत छोड़ना। समझें।
जी सर.....।
अलका ओर रश्मि की मम्मी....दोनों उनके साथ चल दी।
रोहित अकेला होस्पिटल के चारों ओर चक्कर लगाए जा रहा था। कभी रश्मि के कमरे की ओर जाता, कभी मन्दिर की ओर, कभी बाहर बरामदे में, कभी मेडीसिन कि शॉप पर, कभी डाक्टर के केबिन के आसपास।
बैचेन, परेशान हर एक गुजरता हुआ पल मानो उसके लिए सदियों जैसा बित रहा हो।
करीब दो घंटे बाद डाक्टर विजय बाहर आए ओर उनके साथ नर्स भी आई।
रोहित भागता हुआ उनके पास आया ओर बोला:- क्या हुआ सर! रश्मि ठीक हैं.....?
नर्स ने रोहित के हाथ में एक पेपर देते हुए कहा आप ये मेडीसिन ले आइये, फिर डाक्टर के केबिन में आ जाईये।
रोहित ने पेपर लिया ओर कहा मैं दवाईयां ले आऊंगा सर पर पहले ये तो बताईये रश्मि ठीक तो है ना।
डाक्टर विजय-मैनें डाक्टर को सब कुछ बता दिया हैं....वो आपको सब बता देंगे। मुझे एक जगह इमरजेंसी केस में जाना हैं मैं कल सुबह फिर से आता हूँ, घबराने वाली कोई बात नहीं है। मैं चलता हूँ।
ऐसा कहकर वो अपनी गाड़ी में चल दिए।
रोहित उनके जाते ही मेडिकल स्टोर से दवाईयां लेने चला गया। नर्स भी रश्मि के कमरे में चली गई।
रोहित ने फटाफट दवाईयां ली ओर डाक्टर के केबिन में गया। वो बहुत बैचेन हो रहा था, रश्मि के बारे में जानने के लिए। केबिन में जातें ही रोहित बोला- ये लो दवाईयां ......अब जल्दी से बता यार रश्मि को होश कब आएगा।
बैठो रोहित। अब मेरी बात ध्यान से सुनो।
मैं बैठ जाउंगा। प्लीज जल्दी बताओ। रश्मि ठीक तो है ना।
रोहित , पहले मुझे ये बताओ कि रश्मि के साथ क्या हुआ हैं...?
मतलब। मैं समझा नही। क्या जानना चाहते हो।
क्या रश्मि के साथ कुछ ऐसा हुआ है जो नहीं होना चाहिए।
रश्मि के साथ जबरदस्ती हुई है पर ... क्या उसका..
रोहित.....रश्मि के साथ जो जबरदस्ती की गई हैं.......उसकी वजह से वो ना सिर्फ दिमागी बल्कि मानसिक तौर पर भी बहुत डिस्टर्ब हुईं हैं......ओर उससे बड़ी प्रोब्लेम ये है कि उसके साथ हुई इस जबरदस्ती में उसके सिर के पीछे के हिस्से में अंदरूनी चोट आई हैं।एक अंदरूनी नस पर बहुत दबाव आ गया है,जिसकी वजह से वो बार बार बेहोश हो रही है। बेहोशी की दवाई के बहुत अधिक डो़ज की वजह से उस पर कोई दवाई भी असर नहीं कर रही हैं। पर अभी डाक्टर विजय कुछ खास दवाईयां बता कर गए हैं ......जिससे ओवर डो़ज का असर धीरे धीरे कम हो जाएगा। उसके बाद रश्मि की चोट का इलाज किया जाएगा। आज की रात तो शायद उसे होश ना आए पर सुबह तक आ जाएगा......ओर सबसे बड़ी बात तो ये है कि अभी हम ये नहीं जानते कि जो नस पर दबाव आया है उसका असर बेहोशी तक ही हैं या कुछ ओर भी हैं। वो सब रश्मि के होश में आने के बाद ही ठीक से पता चल पाएगा।
मतलब!!
अभी सिर्फ ये दुआ करो कि चोट ज्यादा गहरी ना हो ओर रश्मि के होश मे आने पर वो नार्मल हो। कहने का मतलब ये हैं रोहित की ऐसी चोट की वजह से कभी कभी इंसान की याद्दाश्त भी जा सकतीं हैं...।
व्हाट.....!!
हाँ रोहित.... ज्यादातर मामलों में ऐसा होता हैं.... इसलिए अभी सिर्फ दुआ करो...।
क्या मैं उसके कमरे में बैठ सकता हूँ....?
हां। मैं उसे दवाईयां भी दे देता हूँ। आओ।
रोहित ओर डाक्टर दोनों रश्मि के कमरे में गए। डाक्टर ने रश्मि के हाथ में लगी हुई सिरींज में दवाईयों का डो़ज डाला। दुसरे हाथ में भी कुछ इंजेक्शन लगाए ओर नर्स को बोले:- तुम अभी थोड़ा आराम कर लो। यहाँ रोहित बैठा है ओर मैं भी अपने कमरे में ही हूँ।
रोहित हो सकता है रश्मि को कुछ पल के लिए बार बार होश आए.....। ऐसे में घबराना मत, अगर ज्यादा वक़्त तक होश रहे तो मुझे फोन कर देना।
हम्ममम, ठीक है।
ऐसा कहकर डाक्टर अरुण ओर नर्स दोनों बाहर चले गए। रोहित रश्मि का हाथ अपने हाथ में लेकर उसके पास बैठ गया। ओर एक टक बस उसे देखे जा रहा था.....।
क्या वाकई मे रश्मि अपनी याद्दाश्त भूल जाएगी...? क्या होगी रिषभ की नयी चाल....? जानने के लिए पढ़े अगला भाग...।